मुर्दों के देश से
- nirajnabham
- Nov 30, 2021
- 1 min read
जी हाँ, अब हैं आप
हमारे साथ
मुर्दों के देश में
मुर्दों के वेश में
जाहिर है कि
नहीं पहचान पाया
कोई हमें।
भले ही होती है लंबी उमर
लेकिन-
कमजोर होती है
मुर्दों की नज़र।
फर्क नहीं
कोठरी और झोपड़ी में
घूम आते हैं – बेखौफ़
श्मशान घाटों में ।
एक खूबसूरती है-
मुर्दों के देश में
कोलाहल में भी
इनके है मुर्दापन
गतिशीलता में मुर्दापन।
यंत्रों का व्यक्तित्व भी
चुभने लगता है
कभी-कभी इनके सामने ।
जी हाँ!
एक और विशेषता है-
इस देश की
हर मुर्दा है पारंगत
किसी न किसी कला में।
कुछ तो कर सकते हैं
नकल- जिंदा लोगों की
बिलकुल मेरी तरह।
आज के लिए इतना ही
फिर मिलेंगे
मिलना मजबूरी है
तब तक के लिए
आप सब लोगों को
मेरा प्यार भरा मुर्दाबाद।
Comments