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बज रही कौन सी धुन !

  • nirajnabham
  • Mar 13, 2022
  • 1 min read

बज रही कौन सी धुन !

नेह से बिछोह का

अजनबी से मोह का

किस अंधेरी खोह का

बज रही कौन सी धुन !

अनसुनी सी रागिनी

समर्पिता मानिनी

स्मृति विनाशनी

बज रही कौन सी धुन !

खोए हुए प्यार सी

आखिरी पुकार सी

घिरते अंधकार सी

बज रही कौन सी धुन !

आगत के स्वागत में

वर्जित की चाहत में

आत्म के अज्ञात में

बज रही कौन सी धुन !

कुंद हुए संवेदन

बँट रहे प्राण मन

विक्षोभ बना आलोड़न

बज रही कौन सी धुन !

कौंधती बिजलियाँ

गूँजती अठखेलियाँ

गुम होती निशानियाँ

बज रही कौन सी धुन !

तीव्र हो रहा तान

सुर स्वर शोर समान

समीप हुआ अवसान

बज रही कौन सी धुन !

मुक्त होगी झँकार

टूटेंगे व्यर्थ तार

खुलने दो मन के द्वार

बज रही वही धुन

सुन मन प्राण सुन।

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