top of page

जो मैंने कहा जैसा मैंने सुना

  • nirajnabham
  • Jul 13, 2022
  • 2 min read

जिंदगी पर उनका इख़्तियार हो गया

अपने ही घर में किराएदार हो गया


तरस भी क्या खाएँगे वे मेरे हालात पर

रोना भी उनको अब मेरा नागवार हो गया


तोड़ ही देती हैं किनारों को नदियाँ

दिल ए आशिक जो कोई बेज़ार हो गया


फ़रमाइशें सारी कर न सका पूरी उनकी

वफ़ादारी में भी मैं गुनाहगार हो गया


निगाह ए शौक़ का मान है लबों पे हँसी

वे समझे कि आने से उनके बहार हो गया


वे चाहते हैं कि चाहूँ पर चाह कर भी क्या करूँ

दिल को तो दिलबरी का ख़ुमार हो गया


पड़ती है जमीं पे शिकन मेरे दर्द से

ये रिश्ता भी उन्हें नागवार हो गया


गुजरा किए था गलियों से नज़रें झुका कर

झुके हुए सरों का वो तलबगार हो गया


कितना आसान है आजकल बेवफ़ा होना

बेवफ़ाई सिखाना भी अब कारोबार हो गया


क्या मिलेगा गिरा कर मुझे मेरी नज़रों में

दिल कब से पड़ोसी की दीवार हो गया


अरमानों का अम्बार है आँखों में

खिलना फूलों का अब बेकार हो गया


घुलने लगी है खुशबू फिर हवाओं में

लगता है मेरे इश्क़ का इज़हार हो गया


मुसाफिर हूँ पर भटका हुआ नहीं

जानता हूँ जो डूबा वो पार हो गया


खिलते हैं फूल वीरानों में भी अदब से

बहार कलियों का जबसे पहरेदार हो गया


आती ही है रात हर एक दिन के बाद

दिन बीतने का लम्बा इंतज़ार हो गया


उतरने लगी है नींद अब आँखों में

ख़्वाब पलकों पे फ़रमावदार हो गया


यक़ीन तो पहले भी था पर बेचैनी के साथ

हिलते ही लब पुरसुकून इंतज़ार हो गया


चाहत में तेरी हद से गुज़र जाएँगे सोचा है

तू खफ़ा है तो रह मुझको तो क़रार हो गया


बस्तियाँ तो फिर बस जाएँगी

परिंदा फिर कोई बेघरबार हो गया

 
 
 

Recent Posts

See All
सामर्थ्यहीन शब्द

कर पाते व्यक्त अंतर्द्वंद्व, शब्द  उन पलों के जब होता है संदेह अपनी ही उपलब्धियों पर खड़ा होता है अपने ही कठघरे में अपने ही सवालों से नज़र...

 
 
 
मानवता का छाता

जब-जब देता है कोई मानवता की दुहाई धिक्कारती है मानवता हो जाने दे अर्थहीन गुम जाने दे शब्द- मानवता। सँजोने को निजता प्रमाणित करने को...

 
 
 
वे दिन ये दिन

कितने लापरवाह थे दिन वे भी कितना पिघल आता था हमारे बीच जब खीजती थीं तुम और गुस्सा होता था मैं फिर किसी छोटे से घनीभूत पल में जाता था जम...

 
 
 

Kommentare


9760232738

  • Facebook
  • Twitter
  • LinkedIn

©2021 by Bhootoowach. Proudly created with Wix.com

bottom of page