अज्ञानी था या भोला था
- nirajnabham
- Mar 13, 2022
- 1 min read
अपराध कारण है- दंड का
भाव कारण है छंद का
सृष्टि कारण है-
मोह के बन्ध का।
फिर क्या कारण है-
सृष्टि का-
अपराध का-
भाव के प्रवाह का ।
जुड़ती है कड़ी से कड़ी
कौन पहली, कौन दूसरी
तय करता है कौन
क्यों रहता है मौन
कैसे करूँ विश्वास
क्या है कारण
क्या है प्रयास
कौन सी क्रिया
कैसा परिणाम।
अपना मन कितना अपना
अपनी बुद्धि कितनी अपनी।
जो तर्क है वही फर्क है
कभी डूबना
कभी उतराना
जो स्वर्ग है वही नर्क है
जो अपराध है वही दंड है।
जो बंध कर निकले
वही छंद है
मोह ही सृष्टि का अवलंब है।
यह उलटबाँसी है माया
जो भी सोचा
जब भी सोचा
ओर छोर का पता न पाया
कारण कारज बहुत गिनाया
ऐसी माया बस भरमाया
जब भी देखी कोई छाया
लेट गया बस लेट गया
कब सोया और कब जागा
इतना सा भी जान न पाया ।
अज्ञानी था या भोला था
इतना भी पहचान न पाया
Comentários