लम्हे
- nirajnabham
- Oct 15, 2021
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बिखर जाएगा एक रोज़ ये तड़पता हुआ जुलूस
बात पानी की है बात पानी की ही रह जाएगी
उम्र तो एक तेरी भी है मेरे साथ-साथ चलते समय
सिमटती हुई नज़दीकियों में बस दूरियाँ रह जाएगी
कचोटती है जो दिल को बहुत वह बात पुरानी है
बुलाना न मुझे कभी कोई दुश्मनी निकल आएगी
जाहिर है कि देखोगे मुझे अपनी नज़र से तुम
एक हक़ीक़त वरना सरे आम बदल जाएगी
कोई और होता तो कह देता कि जा चला जा
उनकी न सुनी तो अपनी सुनानी पड़ जाएगी
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