मुक़ाम
- nirajnabham
- Oct 8, 2021
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तेरे मेरे इश्क़ के गुजरे जमाने हो गए
बिक सके तो बेच डालो सपने पुराने हो गए
नीयत में अब खोट दिखता नहीं
तेरी गली से गुजरे जमाने हो गए
किस मुँह से दिल की बातें करूँ
मुजरिमों से अपने दोस्ताने हो गए
साया भी अब साथ न देगा अपना
रिश्ते सभी इस कदर पुराने हो गए
एतबार करना तो आदत है अपनी
जिंदगी तेरे पैंतरे पुराने हो गए
बेवफ़ाई भी अब बुरी लगती नहीं
होश वफ़ादारों के ठिकाने हो गए
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