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बेचारगी का टशन

  • nirajnabham
  • Oct 7, 2021
  • 2 min read

(1)


शोखियों का, नाज़ का, मारा है, दिल तो बेचारा है

अनसुनी फ़रियाद नहीं अपनी ही बद्दूआओं का मारा है


चाहता है वो कि सब तरसें नज़र ए इनायत को

एक नज़र तो देख नजरों में सबकी क्या इशारा है


टिमटिमाता ही सही जलता रहेगा ये चिराग

इन आँखों में अब हवाओं की बेबसी का नज़ारा है


दिल ए नाकाम पे न तरस खा सितमगर

दे दर्द जी भर के भला दिल दर्द से कब हारा है


टूटा है दिल इस कदर कि पहचान में नहीं आता

क़दम सँभाल कर रखना हर टुकड़े में अक्स तुम्हारा है


हर सिम्त गर्द ओ गुबार है सब परीशां हैं तेरी चाह में

चिलमन उठाके देख भँवरे हैं बस एक आशिक तुम्हारा है


वादे पे जिए उसके पर क्या करें ऐतबार

डरता है बेवफ़ाई से सितमगर बड़ा शर्मीला हमारा है






(2)


पेबन्द सी जेबें तो सिलवालीं मगर

जो मिला सब रफ़ूगर ने ले लिया


तुम साथ भी हो मैं तन्हा भी

दिल ने भी बातें करना छोड़ दिया


जिए हुए लम्हे को कौन जीता है दोबारा

आता है तो आ, याद क्या अब तो भुलाना भी छोड़ दिया


फ़ुरकत में गुजरी कितनी गुजरी विसाल में

यही काम रह गया क्या हमने तो गिनना भी छोड़ दिया


छत में किए सुराक कि बरसेंगे वफ़ा के बादल

घर की दहलीज ने ही आंसुओं का रास्ता रोक लिया


वो आए हमारे दर पर चेहरे पर नूर लिए

क़सूर इन बेनूर आँखों का घर तो उजाला कर दिया


वही तो मिला सबको जो उसका हिस्सा था

हमने तो अब कतार में ख़ुद को लगाना छोड़ दिया


शजर जख्मों के हरे हो जाएँगे

दिल की मिट्टी ने आँसुओं से नाता जोड़ लिया


ज़्यादा मुस्कराऊंगा तो ज़ख्म खुल जाएंगे

तुमने ही तो दिया था मैंने तो बस मरहम लगाना छोड़ दिया


धुआँ देख समझता है वो जल रहा है चूल्हा

नादान परिंदों ने भी अब भूख से कुलबुलाना छोड़ दिया



शिकवा करें किससे दुनिया से क्या फ़रियाद करें

अपना ही तो था मैंने बस पिंजड़ा बन्द रखना छोड़ दिया


आशिक़ी दीवानापन आवारगी दिल का हासिल है

वो समझता है सदा-सदा के लिए पत्थरों ने धड़कना छोड़ दिया


हादसों से शुरू हुआ था इस ज़िदगी का सफ़र

दिल ए नादान हमने तो जिंदगी ही हादसों के मोल लिया


शाखों से मुँह फुलाकर बैठी हैं पत्तियाँ

कागज़ के फूलों ने भी अब ख़ुशबू लगाना सीख लिया


गर्म तवे पर बूँद सा थिरकने लगा था दर्द

सुनकर बेफ़रियाद आहें दिल उसने जलाना छोड़ दिया

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